Chapter one - (in Devanagari script)

Below is the original script of the verses of chapter 1 of Sanandh:
सनन्ध प्रकरण १: सनंध - पेहेली अल्ला रसूल की
अल्ला मुहबा मासूक , सो खासी खसम दिल । तो नाम धराया रसुलें , आसिक अपना असल ।।१।।

आसिक कहया  अल्लाह को , मासूक कहया महंमद । न जाए खोले मायने , बिना इमाम एक सब्द ।।२।।

आए रसूलें यो कहया , काजी आवेगा खुद सोए । पर फुरमान यों केहेवहीं , जिन कोई केहेवे दोए ।।३।।

एक कहया न जवाहीं , दो भी कहिए कयों कर । भेले जुदे जुदे भेले , माएने मुसाफ इन पर ।।४।।

ऐसे माएने गुझ कई , तिन गुझोंमें भी गुझ । ए माएने अपने आप बिना , और न काहूं सुझ ।।५।।

फुरमान ल्याया रसूल , तिनमें अल्ला कलाम । सो भेज्या मोमिनों पर , अंदर गुझ अलाम ।।६।।

ए जिन भेज्या सो जान्ही , या जाने आया जिन पर । ए गुझ खसम मोमिन की , बिना रसूल न कोई कादर ।।७।।

खसमें लिखी हकीकत , जोलों न पाइए सोए । तोलों असलू मोमिन को , चैन जो कैसे होए ।।८।।
 
माएने इन कुरान के , जोलों ना समझाए । तोलों सो रुह आपको , मोमिन कयों कहेलाए ।।९।।

तो लिख्या आगूहीं थें , रसुलें अल्ला कलाम । करसी जाहेर मोमिन , आखिर आए इमाम ।।१०।।

हकीकत फुरमानकी , कहूं सुनो सब मिल । नूर अकल आगे ल्याएके , साफ करुं तुम दिल ।।११।।

अब सो आखिर आइया , उठ खडे रहो मुस्लिम । पाक करुं नूर अकलें , खबर देऊं खसम ।।१२।।

सबको प्यारी अपनी , जो है कुल की भाख । अब कहूं भाखा मैं किनकी  , यामें भाखा तो कई लाख ।।१३।।

बोली जुदी सबन की , और सबका जुदा चलन । सब उरझे नाम जुदे धर , पर मेरे तो केहेना सबन ।।१४।।

बिना हिसाबें बोलियां , मिने सकल जहान । सबको सुगम जान के , कहूंगी हिंदुस्तान ।।१५।।

बडी भाखा एही भली , सो सबमें जाहेर । करने पाक सबन को , अंतर मांहें बाहेर ।।१६।।

END OF CHAPTER 1

No comments:

Post a Comment

Polite rational discussion is always better than pointless haughty debates. Welcome.

Note: Only a member of this blog may post a comment.